यूपी में मेडिकल कॉलेज इंटर्न्स का स्टाइपेंंड आखिरी बार 10 साल पहले बढ़ाया गया था. 2010 में इसे 1900 रुपए से बढ़ाकर 7500 किया गया था. एक दशक बीत चुका है. इस बीच मेडिकल स्टूडेंट्स ने कई बार इस स्टाइपेंड को बढ़ाने की मांग की, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिलता रहा. स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर स्टूडेंट्स ने ट्विटर पर ट्रेंड भी चलाया. #wedemandstipendincrement पर 40 हजार से ज्यादा ट्वीट हो चुके हैं.
कोरोना ड्यूटी कर रहे MBBS इंटर्न्स |
हर रोज मिनिमम 10 से 12 घंटे की ड्यूटी करते ही हैं हम लोग. और इसके बदले हमें क्या मिलता है, 250 रुपए मात्र. आप ये समझ लीजिए कि अपने एक दिन की कमाई से हम एक एन-95 मास्क भी नहीं खरीद सकते. वो भी 350 रुपए का एक मिलता है. अपने लिए मास्क खरीदने के लिए भी हमें दो दिन की कमाई लगानी पड़ेगी.#WeDemandstipendincrement— Avinav Singh (@shivam2781) April 24, 2020
Up medical students intern's Stipend is very less i.e. 7,500 per month ...while other state medical student intern's stipend is 2 to 3 times of up medical student stipend....please look into this matter and please resolve it as soon as posible pic.twitter.com/5gBnVDzFc6
ये कहना है शिवम मिश्रा का. शिवम लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं. MBBS की 4.5 साल पढ़ाई करने के बाद अब मेडिकल कॉलेज में ही इंटर्नशिप कर रहे है. पूरा देश इस समय कोरोना महामारी जैसी भयावह संकट के दौर से गुजर रहा है. इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में मेडिकल स्टाफ फ्रंटलाइन वॉरियर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर देश भर में ताली और थाली बजाकर इन डॉक्टर्स के लिए आभार भी जताया गया. क्योंकि संकट के इस दौर में डॉक्टर्स लगातार लोगों की मदद में जुटे हुए हैं. ऐसे में इन डॉक्टर्स के लिए खुद को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी हो जाता है. यही वजह है कि यूपी के मेडिकल कॉलेजों में इंटर्नशिप कर रहे हजारों जूनियर डॉक्टर सरकार से स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
यूपी में MBBS इंटर्न डॉक्टर्स पूरे जी-जान से इस संकट में ड्यूटी कर रहे हैं। उनका जीवन भी संकट में रहता है। लेकिन उनको दिन का केवल 250 रू मिलता है।— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) April 27, 2020
मुख्यमंत्री @myogiaditynath जी ये मानदेय बेहद कम है। मेरी समझ में, इस संकट के समय में इंटर्न डाक्टर्स का मानदेय बढ़ाना आपका फर्ज है pic.twitter.com/7uo96JTLUG
बांदा मेडिकल कॉलेज के मोहित मित्तल कहते हैं
4.5 साल तक कड़ी मेहनत और सैकड़ों एग्जाम्स पास करने के बाद फाइनली हमें इंटर्नशिप पूरा करने के लिए प्रोविजनल लाइसेंस मिलता है. हम 12-12 घंटे काम करते हैं और बदले में क्या मिलता है? 250 रुपए. एक दिहाड़ी मजदूर से भी कम. महीने के 7500 रुपए. जबकि इसी काम के लिए केंद्र सरकार 23500 रुपए देती है. हरियाणा में 18, बिहार में 15 हजार मिलता है. अभी कुछ दिन पहले ही पंजाब सरकार ने स्टाइपेंड 9 हजार से बढ़ाकर 15 हजार किया है.
- We demand striped increment for MBBS intern.— Adarsh Sahay (@AdarshSahay18) April 23, 2020
- Still no increments since last 10years.
- Still waiting for rights for MBBS intern students.
- please justify to this unjustifiable.#WeDemandStipendincrement@CMOfficeUP@MhfwGoUP@UPgovt@myogioffice@myogiadityanath@ndtv pic.twitter.com/y9HN2ztZci
यूपी में मेडिकल कॉलेज इंटर्न्स का स्टाइपेंंड आखिरी बार 10 साल पहले बढ़ाया गया था. 2010 में इसे 1900 रुपए से बढ़ाकर 7500 किया गया था. एक दशक बीत चुका है. इस बीच मेडिकल स्टूडेंट्स ने कई बार इस स्टाइपेंड को बढ़ाने की मांग की, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिलता रहा. स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर स्टूडेंट्स ने ट्विटर पर ट्रेंड भी चलाया. #wedemandstipendincrement पर 40 हजार से ज्यादा ट्वीट हो चुके हैं.
पिछले 10 सालों में कितना कुछ बदल गया है. कीबोर्ड वाले फोन गायब हो गए और स्मार्टफोन आ गए. दुनिया कहां से कहां पहुंच गई. लेकिन MBBS स्टूडेंट्स का स्टाइपेंड अभी भी वहीं हैं. यह पूरे देश के लिए संकट का समय है और ये स्टूडेंट सरकार के साथ, लोगों के साथ खड़े हैं. ये चाहते हैं कि सरकार इनकी मांग सुने. इनकी दिक्कतों परेशानियों को समझे. उन्हें हल करे.
कोरोना लॉकडाउन के इस दौर में स्टूडेंट्स कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन ये लड़ाई अकेले की नहीं. इसलिए अनुभव साझा करना है जरूरी. अगर आप भी अपने दोस्त baseerscreationके साथ शेयर करना चाहते हैं अपनी दिक्कतें और एक्सपीरिएंस तो हमें मेल करें MABASEE@GMAIL>COMपर.
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