Hypermetropia क्या और क्यों होता है. लक्षण क्या हैं? |
हाइपरमेट्रोपिया
यह एक प्रकार का दृष्टि दोष है जिससे ग्रस्त व्यक्ति दूर की वस्तुओं को तो स्पष्ट रूप से देख पाता है, परंतु निकट की वस्तुओं को नहीं। यह नेत्र दोष, नेत्र गोलक (Eye Ball) के कुछ छोटा होने के कारण होता है। इसे दीर्घ दृष्टि (Long Sightedness) दोष भी कहते हैं।
क्या और क्यों होता है हाइपरमेट्रोपिया?
-हाइपरमेट्रोपिया को समझने के लिए पहले आंख के स्ट्रक्चर को समझने की ज़रूरत है. जब आंखों पर लाइट पड़ती है, तब वो पुतली और लेंस से होते हुए परदे पर गिरती हैं. जिसकी वजह से हम साफ़ तरह से देख पाते हैं. लेकिन हाइपरमेट्रोपिया में ये लाइट रेज़ परदे के पीछे फ़ोकस होती हैं, जिसकी वजह से हमें पास की चीज़ें धुंधली दिखाई देती हैं.
-जब बच्चा पैदा होता है तो उसकी आई बॉल छोटी होती है जिसकी वजह से 2 से 3 डायोप्टर (नापने का पैमाना) का हाइपरमेट्रोपिया पाया जाता है. जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसकी आईबॉल बड़ी होती हैं और हाइपरमेट्रोपिया ठीक हो जाता है. लेकिन अगर आई बॉल छोटी रह जाए, उसका कॉर्निया (आंखों के आगे का ट्रांसपेरेंट हिस्सा) या लेंस फ्लैट रह जाए तो हाइपरमेट्रोपिया कंडीशन बनी रह सकती है.
Hypermetropia के लक्षण क्या हैं?
-ज़्यादातर हाइपरमेट्रोपिया में पास का काम करने के बाद लक्षण ज़्यादा महसूस होते हैं
-जिसमें आंखों में थकान
-सिरदर्द रहना
-आंखों से पानी निकलना
-जलन होना
-बार-बार आंखें रगड़ने की वजह से आंखों का इन्फेक्शन हो जाना
-गांठ बन जाना
-अगर बच्चा छोटा होता है तो आंखों में भैंगापन भी हो सकता है
-इस भैंगेपन का समय पर इलाज नहीं किया जाता तो आंखों की रोशनी हमेशा के लिए कम रह जाती है, जिसे अंग्रेज़ी में लेज़ी आई भी कहते हैं.
हायपरमेट्रोपिया से बच कैसे सकते हैं?
हम आंखों के स्ट्रक्चर को बदल तो नहीं सकते, लेकिन अगर हम आंखों की सफ़ाई रखें तो हाइपरमेट्रोपिया के लक्षणों को कम किया जा सकता है.
– अच्छी रोशनी में पढ़ाई करें
-मोबाइल या लैपटॉप लिमिटेड समय के लिए चलाएं
-अगर मोबाइल या लैपटॉप ज़्यादा समय के लिए चलाते हैं तो हमारी आंखों की मांसपेशियां थक जाती हैं
-इसकी वजह से हमें पास का ज़्यादा धुंधला दिखाई देता है
-हर 10 मिनट के बाद 10 सेकंड का ब्रेक लीजिए, इसके बाद पलकों को झपकाएं
-इससे आंखें भी रिलैक्स होंगी और आंखों में ड्राईनेस की समस्या भी कम हो जाएगी
हायपरमेट्रोपिया का इलाज क्या है?
-हाइपरमेट्रोपिया के इलाज के लिए आंखों में दवाई डलवाकर जो चश्मे का नंबर निकलता है, वो लगाना चाहिए अगर मरीज़ की उम्र 18 साल से ज़्यादा है और चश्मे का नंबर एक साल से स्थिर है तो ऑपरेशन करके भी चश्मे का नंबर हटाया जा सकता है
-जैसे लेसिक सर्जरी से 1 से 4 डायोप्टर (नापने का पयमाना) का हाइपरमेट्रोपिया ठीक किया जा सकता है
-अगर नंबर 4 से ज़्यादा है तो फ़ेकिक इंट्राऑक्यूलर लेंसेज़ (Phakic Intraocular Lenses)यानी एक तरह के लेंस जो प्लास्टिक या सिलिकॉन से बने होते हैं, उन्हें आंखों में परमानेंटली लगाया जाता है. यानी चश्मा हटाया जा सकता है
उम्मीद है ये जानकारी निधि के ज़रूर काम आएगी. साथ ही उन लोगों के भी जिनकी पास की नज़र कमज़ोर हो रही है.
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